श्री ओंकार नाथ शर्मा 'श्रद्धानंद' जीवन परिचय:--
श्री ओंकार नाथ शर्मा ' श्रद्धानंद ' संत और समाज सुधारक।
संस्थापक,संचालक
श्री सत्य सनातन धर्म परिवार,
सिद्धपीठ, गायत्री शक्तिपीठ शांतिधाम
जन्म तिथि: माघ कृष्ण त्रयोदशी 01 फरवरी 1954
महाप्रयाण :फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि 24 फरवरी 2023
माँ:स्व० कलावती देवी (ममता की मूर्ति, स्नेहसलिला, विदुषी, धर्मपरायण)
पिता: स्व० हरिश्चंद्र शर्मा, उत्तर प्रदेश चिकित्सा विभाग में कुशल चिकित्सक,
स्वतंत्रता सेनानी, उच्चकोटि के साधक, रामभक्त, दोनों समय स्नान ध्यान पूजा पाठ, श्रीमद्भागवत, रामचरितमानस के मर्मज्ञ।
माँ/पिता ने ही मुझे बचपन से शुभसंस्कार, विचार, आध्यात्मिक वातावरण देकर मेरे व्यक्तित्व के निर्माण में महती भूमिका निभाई।
जन्मस्थान:छपरा, बिहार

शिक्षा: प्राथमिक शिक्षा गोरखपुर में, तदुपरांत आगरा, उत्तर प्रदेश
I Sc Biology (R B S Inter college Agra) M A Sociology (Agra University)
सैन्य सेवा का अनुभव:
N C C Junior's 3 years.
N C C Senior. 2 years
सैन्य सेवा का अनुभव:
N C C Junior's 3 years.
N C C Senior. 2 years
Air Force : served 15 years 1972 से 1987 तक
आध्यात्मिक जीवन :
-
1979 में 18 मई को बड़े पुत्र अनंत देव हरिवंशी के जन्म के समय पुंसवन संस्कार का आयोजन करवाया था। उसी दिन से नियमित गायत्री साधना का संकल्प लिया। तब शिलांग (मेघालय) में पदस्थापित थे। इस बात को 41 वर्ष बीत गए अब 42 वां वर्ष चल रहा है।
-
1979 में ही अक्टूबर माह में शिलांग से शांतिकुंज हरिद्वार जा कर, अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक
युगऋषि, वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ, प० श्रीराम शर्मा आचार्य जी से
प्रथम दीक्षा: सामान्य दीक्षा प्राप्त की।
(जो समूह में, गुरुदेव के किसी प्रतिनिधि द्वारा दिलाई जाती है
द्वितीय विशेष दीक्षा (प्राण दीक्षा ):
1981 में गुरुपूर्णिमा के अवसर पर, शांतिकुंज हरिद्वार जाकर परम पूज्य गुरुदेव से द्वितीय विशेष दीक्षा (प्राण दीक्षा) प्राप्त करने का सौभाग्य मिला। (इस दीक्षा में स्वयं परम पूज्य गुरुदेव एकाकी शिष्य को अपने सामने बिठा कर गुरु दीक्षा सम्पन्न कराते हैं। अपने हाथ से तिलक लगाते और कलावा (रक्षा सूत्र ) बांध कर आशीर्वाद देते हैं। यह सौभाग्य मुझे अनायास ही प्राप्त हुआ था। यह उन परम सत्ता की मुझ पर विशेष कृपा ही थी।
1990 वसंत पंचमी सरस्वती पूजा के अवसर पर
तृतीय विशेष दीक्षा-- प्रतिनिधि दीक्षा प्राप्त हुई।
गत 42 वर्षों से वायुसेना में कार्यरत रहते हुए तथा स्वैच्छिक अवकाश ग्रहण करने के बाद भी अपना सम्पूर्ण जीवन श्री सत्य सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में समर्पित है।
विशेषताएं
धर्मग्रंथों एवं विभिन्न विषयों पर बचपन से ही विस्तृत अध्ययन की प्रकृति।
हजारों पुस्तकों ,पत्रिकाओं का संग्रहीत पुस्तकालय है
खेलों में
फुटबॉल, वॉलीबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन इत्यादि।कैरम,
शतरंज खेलों में भी अभिरुचि
गीत, संगीत, शेरो-शायरी
100 से अधिक गीत, कविताएं, भजन और 500 से अधिक शेरो शायरी लिखे हैं।
गायन, वादन
गला सुरीला है, यज्ञ आदि धार्मिक आयोजनों में, मधुर फिल्मी धुनों पर लिखे गीत भजन स्वयं ही, हारमोनियम बजा कर गाने की विशेषता।
भाषा ज्ञान
हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत भाषाओं के शुद्ध उच्चारण, लेखन, अध्ययन का विस्तृत अनुभव।
योग-व्यायाम-प्राणायाम साधना
किशोरावस्था से प्राचीन योगासनों का नियमित अभ्यास:
नौकासन, अर्द्ध मत्स्येन्द्र आसन, पश्चिमोत्तान आसन, हलासन, सर्वांगासन, मकरासन, भुजंग आसन, धनुरासन, चक्रासन , मत्स्यासन, शीर्षासन, शिथलीकरण
का अभ्यास।
1982 में स्वामी धीरेंद्र ब्रह्मचारी के विश्वायतन योगाश्रम नईदिल्ली में 3 माह का प्रशिक्षण लिया और सूक्ष्म यौगिक व्यायाम, न्यौली क्रिया, जल नेति, कुंजल, शंख प्रक्षालन आदि में पारंगतता प्राप्त की।
2013 दिसंबर माह में योगऋषि स्वामी रामदेव जी के सान्निध्य में, पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में प्रशिक्षण लेकर , अनेक योग शिविरों का संचालन किया।
भारत स्वाभिमान, का छपरा, बिहार का जिला प्रभारी 2014 में रहा।
अब दिव्यशक्ति योग के अंतर्गत
सिर से पैर तक का सरल किन्तु प्रभावी यौगिक क्रियाओं का जन जन के लिए प्रशिक्षण।
प्राणायाम:सामान्य, भस्रिका, कपाल भांति, वाह्य प्राणायाम, उज्जायी, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उद्गीथ प्राणायामों का नियमित अभ्यास व साधकों को शक्तिपीठ पर प्रशिक्षण।
धार्मिक-आध्यात्मिक भूमिका
यज्ञाचार्य :5000 से अधिक छोटे बड़े 1 कुंडीय 5 कुंडीय, 9 कुंडीय, 24 कुंडीय यज्ञ विस्तृत वैदिक विधि विधान के साथ सम्पन्न किये हैं।
पौरोहित्य कर्म में निष्णात
, (जन्म से लेकर श्राद्ध कर्म तक सभी संस्कार, नवग्रह शांति, मूल शांति, पंचक शांति, गृहप्रवेश इत्यादि )
ज्योतिष
ज्योतिष विद्या का प्रभावी ज्ञान, जन्मकुण्डली निर्माण, प्रामाणिक फल कथन में पारंगतता।
प्रवचन कर्ता
सत्यनारायण कथा, रामचरित मानस, प्रज्ञा पुराण कथा में विशेषज्ञता।
वर्ष 1990 से 1994 तक छपरा जिला गायत्री परिवार का जागरण अभियान संचालित किया।
1994 में पटना अश्वमेध के समय छपरा जिले का जिला संयोजक , एवम दिए गए दायित्व का सफलता पूर्वक निर्वाह किया।
संस्थान व संगठन
(1) अरुणोदय विद्यामन्दिर विद्यालय वर्ष 1991 में स्थापित। 24 वर्षों तक संचालन व अध्यापन किया।अब 2015 में बंद कर दिया है, सारा ध्यान राष्ट्रव्यापी अभियान के संचालन पर केंद्रित करने के लिए।
(2) सिद्धपीठ, गायत्री शक्तिपीठ शांतिधाम,
शिलान्यास:(02 जून 1990 गायत्री जयंती, प०पू० गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी के महाप्रयाण के दिन)
प्राणप्रतिष्ठा :महाशिवरात्रि 1992। नियमित साधना क्रम । नवरात्रियों में 150--200 साधक शक्तिपीठ पर समर्थ मार्गदर्शन में गायत्री साधना करते हैं। (शक्तिपीठ का विस्तार से परिचय अलग से दिया जाता रहा है )
(3) श्री सत्य सनातन धर्म परिवार ( अखण्ड हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए,संगठनात्मक अभियान जारी है )

गायत्री साधना
42 वर्षों से नैष्ठिक गायत्री साधक।
अब तक लगभग 1 करोड़ से अधिक गायत्री महामंत्र जप, व्यक्तिगत रूप से सम्पन्न हो चुका है।
सामूहिक साधनाओं में स्थानीय और सम्पूर्ण भारत में मेरे मार्गदर्शन में साधना करने वाले गायत्री साधकों द्वारा अब तक 35 करोड़ से ज्यादा गायत्री महामंत्र जप सम्पन्न किया जा चुका है।
दोनों नवरात्रियों में विशेष अनुष्ठान।** अनेक बार गायत्री महामंत्र जप के सवा सवा लाख के पुरश्चरण , चांद्रायण साधना सम्पन्न कर चुके हैं।
06 जनवरी 2019 से 5 फरवरी 2019 तक एक माह के मौन व्रत, 9 दिवसीय दुर्गासप्तशती के सम्पूर्ण पाठ का अनुष्ठान, गुरुगीता के एक मासीय सम्पूर्ण पाठ का अनुष्ठान, नित्य सम्पूर्ण विधिविधानों के साथ श्री सत्य सनातन धर्म यज्ञ का अनुष्ठान के साथ सवालाख गायत्री महामंत्र जप का पुरश्चरण, सभी एक साथ संपन्न किया।
कई बार 9 दिन मौन व्रत के साथ भी गायत्री के 24 हजार महामंत्र जप के अनुष्ठान भी सम्पन्न किये हैं।
एक बार आश्विन नवरात्रि में 9 दिनों में ही, केवल गोदुग्ध उपवास , मौन व्रत के साथ, सवालाख गायत्री महामंत्र जप पुरश्चरण सम्पन्न किया।
एक बार सवालक्ष गायत्री महामंत्र पुरश्चरण चांद्रायण व्रत के साथ भी सम्पन्न किया है जो अत्यंत कठिन साधना है।
Social Media में भूमिका
विगत 8 वर्षों से, नवंबर 2013 से नित्य न्यूनतम 4-5 घण्टे फेसबुक पर अपने राष्ट्रवादी विचारों और आध्यात्मिक संदेशों से नित्य हजारों लोगों को प्रेरणा व मार्गदर्शन देने का कार्य।
विभिन्न विषयों पर फेसबुक पर लगभग 35 पेज बनाये हुए हैं जिनमे प्रमुख हैं :
(1) श्रीमद्भगवद्गीता एवं महाभारत संदेश (गीता के 7 अध्याय तक एक एक श्लोक की व्याख्या लिखा जा चुका है।)
(2) रामचरित मानस रहस्य - लगभग 100 लेख हैं।
(3) सिद्धपीठ, गायत्री शक्तिपीठ शांतिधाम संदेश --गायत्री साधना के विषय में 100 से ऊपर लेख हैं
(4) श्री ओंकार नाथ शर्मा ' श्रद्धानंद ' एक संत और समाज सुधारक --गूढ़ आध्यात्मिक चिंतन परक लेख।
(5) अखण्ड हिन्दू राष्ट्र, हिन्दू एकता के लिए।
(6)त्रिशूलधारी शंकर - राजनैतिक विषयों पर
(7) श्री सत्य सनातन धर्म की विशेषताएंइस तरह के 35 पेज हैं।प्रतिदिन लेखों को 5--7 हजार लोग पढ़ते हैं।